सत्ता की विरूदावली गाती भाषा
और गर्दन का नाप लेते जल्लाद की मंशा
पंखा झलती बाँदियाँ हैं राष्ट्रवाद की
राष्ट्रवाद का दिल नहीं होता
उसके पास होती है सिर्फ़ घासलेटी भावनाएँ
जिनको भड़काया जा सकता है
कभी भी कहीं भी
ये भावनाएँ किसी की भी हत्या कर सकती हैं
अपने काग़ज़ी अहम के आहत होने पर
बलात्कार पर हँस सकती हैं
स्त्रियों के विधर्मी होने पर
और तो और
बलात्कारी को परम राष्ट्रवादी साबित करते हुए
तिरंगे को भी उसका समर्थक बना सकती हैं
राष्ट्रवाद रक्षक है राष्ट्र का
वह लड़ता है किसी अदृश्य शत्रु से
ख़ुद को महसूस करता है
युद्ध के किसी मैदान में हमेशा
उसके पास होती है
शत्रु के अत्याचारों की पूरी सूची
देश के वीर सपूतों के शौर्य की
न ख़त्म होने वाली दास्तान
हृदय में विधर्मियों से घृणा
ज़बान पर राजा का यशोगान
इस राष्ट्रवाद के संकेत पर
घंटे जैसा बजता है जनगणमन
टन टनाटन टन