राजनेता

01-08-2020

राजनेता

डॉ. जय नारायन लाल (अंक: 161, अगस्त प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

हवा, धूप, पानी पर कब्ज़ा है इनका।
धन और सत्ता से रिश्ता है इनका॥
ना रोटी की चिंता ना मेहनत से मतलब।
सियासत ही बस एक धंधा है इनका॥


ये घर बैठकर सारी दुनिया चलाते।
ये मिनटों में लाखों करोड़ों कमाते॥
ये नारों से निर्माण का काम लेते।
ये जनता को वादों की लोरी सुनाते॥


ये थाली परसते है अपनों को जमकर।
ये व्यापार गंदे ही करते है डटकर॥
ये हँसते अलग और रोते अलग हैं।
ये जीवन बिताते हैं जनता से कटकर॥


अँधेरी है रात और बादल घने हैं।
लहू से दिशाओं के दामन सने हैं॥
कभी ये अँधेरे में रहते थे छिपकर।
मगर अब उजालों के मालिक बने हैं॥

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