यूँ ही कभी-कभी
दिल करता है
कि चुरा लूँ आसमान
का नीला रंग सारा
चाँद को बिंदी बना के
माथे पर सजा लूँ
और दिल में जमी गर्मी को
बंद मुट्ठी से खोल के
गरमा दूँ .....
तेरे भीतर जमी बर्फ़ को,
सुन के वो बोला मुझ से
कि 
"तू इतनी पगली क्यों है?"

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें