नज़रिया

30-04-2012

सुन्दरता चेहरे पे नहीं, 
दिल में नज़र आती है।
हजारों के समूह में प्रियतमा,
प्रियतम को ही नज़र आती है।
मानवता कहने में नहीं,
कर-गुजरने में नज़र आती है।
दोस्ती दोस्तों की संख्या में नहीं,
एक सच्चे दोस्त में नज़र आती है।
कविता की गहराई शब्दों में नहीं,
लिखने वाले के भाव में नज़र आती है।
बड़ी सी कविता क्यूँ लिखूँ ,
मेरी बात मेरी सखी यूँ ही समझ जाती है।

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