नई योजना

02-10-2016

नई योजना

यतेन्द्र सिंह

भीड़तंत्र के राजा ने अपने महल के सामने एक सोने की ज़ंजीर लटका दी। दुखी इंसान सीधा फ़रियाद कर सके ताकि राजा उसकी फ़रियाद को सुनके तत्काल समाधान कर सके। एक भूख से पीड़ित व्यक्ति ने ज़ंजीर खींची। राजा ने अपने पीए से कहा, "देखो कौन हमारे आराम मे ख़लल डाल रहा है।"

पीए ने देख कर कहा, "सर एक दुर्बल आदमी है।"

राजा ने कहा पूछो, "क्या प्रॉब्लम है?"

दुर्बल व्यक्ति ने कहा, "सर हम आपके राज्य में भूख से मर रहे हैं। दो दिन हो गए खाने को कुछ नहीं मिला।"

राजा ने कहा, "क्या बाज़ार मे खाने का समान नहीं है?"

भूखे व्यक्ति ने कहा, "सर खाने के लिए तो सब कुछ है।"

"फिर तू भूखा क्यों है?"

"सर जेब मे एक रुपया नहीं है।"

"कहाँ गया तुम्हारा पैसा?"

"सर है ही नहीं तो फिर जाएगा कहाँ?"

राजा ने पीए से कहा एक आयोग का गठन कर देते हैँ। राजा ने भूख से पीड़ित व्यक्ति से कहा, "फ़िलहाल तो मै तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता। सरकार तुम्हारी है। इसलिए तुम्हारी पीड़ा समझती है। सरकार एक आयोग का गठन करती है। जब तक आयोग रिपोर्ट दे तब तक ज़िंदा रहना।"
आयोग के गठन से भूख से पीड़ित व्यक्ति चल बसा।

सरकार ने तुरंत एक आयोग का गठन किया। आयोग ने दो साल बाद रिपोर्ट पेश की। सरकार ने भूख से मरने वाले व्यक्ति याद में काग़ज़ों में एक नई योजना शुरू की।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें