मेरा रोशनी से कोई नाता नहीं
अवनीश कुमार गुप्तामेरा रोशनी से कोई नाता नहीं
मैं इसलिए चिराग़ ज़लाता नहीं
बर्फ़ का खंज़र लगा है सीने में
दिल को आँच कोई दिखाता नहीं
बाँटकर आये खुशी हर घर जाकर
ग़म बँटाने को मेरे घर कोई आता नहीं
ये मेरी मासूमियत है या अहम की
मैं दोष किसी पर लगाता नहीं
हमें अपनी अदाकारी पर नाज़ है
चेहरा देखकर हाल कोई पहचानता नहीं