मंज़ूर...
शाश्वती पंडा तुझे हद से ज़्यादा
चाहना गर ग़लत है
तो .....
मैं यह ग़लती बारबार करूँ ।
तेरे प्यार में .....गर
मरना भी पड़ जाये तो
वह भी है मंज़ूर.... ।
तेरी हर रंजिश को
बारबार सहारूँ,
तेरी रूठन को भी
खुशी खुशी निवारूँ।
पर... तुझे.....!!
तेरे प्यार को भूला दूँ .....!!!
यह..... कभी न करूँ..॥