मन

शाश्वती पंडा (अंक: 155, मई प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

रे मन तू आज उदास क्यों
कौन है तेरा जो आएगा,
कौन है जो तेरे लिए रोएगा?
तू कल भी था अकेला   
तू आज   है अकेला,
क्या था तेरा जो खो गया,
क्या था तेरा जो तूने खो दिया!
कोई नहीं है इस संसार मे 
साथ तेरा देने को,
तेरा भार ढोने को।
तू है इतना भोला,
तू है कितना भोला,
जो तू कल भी था अकेला
जो तू आज भी है अकेला ..
व्यर्थ है तेरा यह रोना
अब सँभल जा,
क्योंकि नहीं है 
तुमको अपना कुछ खोना
क्योंकि .....
नहीं है तुम्हारा अपना कोई  कोना  
 

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