मैं गुनहगार हूँ!!

11-11-2014

मैं गुनहगार हूँ!!

अवधेश कुमार मिश्र 'रजत'

हर इल्जाम अपने सर लेने को तैयार हूँ,
मैं सच बोलता हूँ इसलिए गुनहगार हूँ।
हाँ मैं गुनहगार हूँ!! हाँ मैं गुनहगार हूँ!!

आज के दौर में जो हर घड़ी बदलता हो रंग,
समय के साथ ही जिसका परिवर्तित हो ढंग।
वही सबसे अच्छा जो मुँह देख बात बनाता हो,
स्वार्थ सिद्धि के लिए रोज़ नए स्वांग रचाता हो।
जिसे लगती हों खोखली बातें आदर्शों की सभी,
जो चाहता ही नहीं निकलना उस पिंजड़े से कभी।
ऐसे लोगों का विरोध मैं तो करता हरबार हूँ॥


हाँ मैं गुनहगार हूँ!! हाँ मैं गुनहगार हूँ!!

मैं ख़ुश हूँ क्योंकि रातों को चैन से सो पाता हूँ,
किसी भी शख़्स से अपनी नज़रें नहीं चुराता हूँ।
मुझे जो मिला वो किसी की मेहरबानी नहीं है,
किसी के पास भी गिरवी मेरी ज़िन्दगानी नहीं है।
बिना लाग लपेट के मैं अपनी हर बात कहता हूँ,
किसी के डर से मैं आज भी राह नहीं बदलता हूँ।
ग़म नहीं गर ना मिला जिसका मैं हकदार हूँ।
हाँ मैं गुनहगार हूँ!! हाँ मैं गुनहगार हूँ!!

 

मैं आज भी झूठ को झूठ, सच को सच लिखता हूँ,
मैं अन्दर से जो हूँ वही सबको बाहर भी दिखता हूँ।
मेरी बातें आईना हैं मेरी समझ की मेरी सोच की,
मुझे परवाह है लगी मानवता पर हर खरोंच की।
मैं महान बनने के लिए हरगिज़ वो बातें नहीं करता,
जिन पर मैं स्वेच्छा से कभी ख़ुद अमल नहीं करता।
मुझे एहसास है कि मैं खड़ा नदी के किस पार हूँ।
हाँ मैं गुनहगार हूँ!! हाँ मैं गुनहगार हूँ!!

 

मैं नव सृजन के नाम पर नग्नता फूहड़ता नहीं बेचता,
मैं अश्लीलता को आधुनिकता के चश्में से नहीं देखता।
नवयुवकों का पाश्विक अश्लील आचरण मुझे भाता नहीं,
नंगेपन को आज भी कहीं आधुनिकता कहा जाता नहीं।
माँ बाप को अपने कृत्यों से जग में ना शर्मसार करो,
मर्यादाओं को क्षणिक सुख के लिए ना तार तार करो।
मैं शर्म से बिलखते उस पिता के नयनों की धार हूँ।
हाँ मैं गुनहगार हूँ!! हाँ मैं गुनहगार हूँ!!

 

स्त्रियों के हितों से मेरा भी सरोकार बहुत गहरा है,
मैं जानता हूँ कि समाज इस मुद्दे पर गूँगा बहरा है।
प्रेम को मान्यता देने से आज भी समाज कतराता है,
प्रेमियों की हत्याएँ आज भी क्रूर समाज करवाता है।
मगर विरोध का तरीका भी शालीन होना चाहिए,
प्रेम की पवित्रता पर हमको अभिमान होना चाहिए।
मैं अपनी माँ बहन प्रेयसी से करता रजत प्यार हूँ।
हाँ मैं गुनहगार हूँ!! हाँ मैं गुनहगार हूँ!!

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