वह औरत कभी मेरी पड़ोसी हुआ करती थी।  इन दिनों वह शहर के घनाड्य लोगों के मोहल्ले में रहती है। कार दुर्घटना में उसके पति का देहांत हो गया था। वे सरकारी दफतर में अधिकारी थे।  तनख्वाह से अधिक वे रिश्वत में कमाते थे।  

काफी दिन के बाद वह मुझे ज्वेलरी शॉप में मिली।  साथ में उसकी बेटी भी थी।  मैं अपना पुराना हार बनवाने आई थी।  पति के देहांत के बाद उसके पहनावे में कोई परिवर्तन मुझे दिखाई नहीं दिया। वह आधुनिक वस्त्र पहने हुए थी। पूछने पर बताया कि “बेटी के लिए हार खरीदने आई है”। वह जल्दी में थी। जब वह जाने लगी तभी अचानक मेरी नज़र उसके गले में लटकती कीमती हार पर पड़ी। हीरों से जड़त उस हार में पति की रिश्वत की कमाई की चमक थी। देहांत की पीड़ा उससे कोसों दूर थी।
 

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