कुछ भी असम्भव नहीं

15-07-2020

कुछ भी असम्भव नहीं

कु. जीतेश मिश्रा शिवांगी (अंक: 160, जुलाई द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

तुम चाहो तो सब सम्भव है, 
उज्जवल होगा भारत का कल।

 

यदि करने पर तुम आ जाओ।
यदि साहस से तुम डट जाओ॥
मंज़िल पर अपनी ध्यान रखो।
तुम अडिग हो आगे बढ़ जाओ॥

 

तुम ठान लो जो कर सकते हो।
ज़िद साहस से बढ़ सकते हो॥
इस धरा पे जो भी क्रिया बनीं।
वो सभी क्रिया कर सकते हो॥

 

यदि इतना कहा मेरा मानों।
सब कुछ सम्भव हो जायेगा॥
कुछ भी असम्भव नहीं धरा पर।
यह भी साबित हो जायेगा॥

 

तुम मानव हो अभिमान करो।
इस जीवन का सम्मान करो॥
हर ज्ञान दिया ईश्वर ने तुम्हें।
युग निर्माता यह भान करो॥

 

उठो! बढ़ो! भारत के कल।
तुमसे उज्जवल है हर इक पल॥
युग को बदलो निर्माण करो।
बन उठो हर इक प्रश्नों का हल॥

 

तुम चाहो तो सब सम्भव है,
उज्जवल होगा भारत का कल॥

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में