कोई तो जीवित है
अभिनव शुक्लाठीक आधी रात में,
कुत्तों के भौंकने की आवाज़,
जब कानों तक आती है,
तब अकारण ही,
मन प्रसन्न हो उठता है,
चलो कोई तो है,
जो इन मृतप्राय: मानवों की,
असंख्य शृंखलाओं के,
मध्य भी,
जीवित है।
ठीक आधी रात में,
कुत्तों के भौंकने की आवाज़,
जब कानों तक आती है,
तब अकारण ही,
मन प्रसन्न हो उठता है,
चलो कोई तो है,
जो इन मृतप्राय: मानवों की,
असंख्य शृंखलाओं के,
मध्य भी,
जीवित है।