खुल गई पोल

01-01-2021

खुल गई पोल

होम सुवेदी (अंक: 172, जनवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

"नम्रता?" 

"हाँ मम्मी!" 

"इतना लेट क्यूँ हुई? स्कूल से आने में?"

"आज से स्कूल में ही ट्यूशन चलने लगी न।"

"तब भी जल्दी आना चाहिए।"

"बीच में छोड़ के कैसे आऊँगी!"

"जैसे भाई आता है।"

"तो मैं भी भाई की तरह ट्यूशन लिए बिना ही भाग कर चली आऊँ? आप यही चाहती हैं मम्मी?"

"क्या कहती है . . .!" 

नम्रता की बातें सुनते ही उन की माता के होश उड़ गए। बेटे पे जो लाड-प्यार देती थी उससे तो सौ गुणा बेटी अच्छी थी। 

उनका बेटा दीदी और मम्मी के  बीच सम्वाद सुनकर, दीदी पर दूसरे कमरे मे गुर्रा रहा था। क्या जाने कल दीदी पर क्या करेगा!

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