ख़ुद की तलाश में

01-04-2019

ख़ुद की तलाश में

नीरज गुप्ता

ख़ुद में ही ख़ुद को 
उलझाकर,
निकल पड़ा हूँ मैं।

बेबस, लाचार ख़ुद की 
तलाश में, 
निकल पड़ा हूँ मैं। 

अनंत क्षितिज को छूने की 
तमन्ना लिए,
निकल पड़ा हूँ  मैं।

मृगतृष्णा से जीवन में 
मंज़िल की आस लिए,
निकल पड़ा हूँ मैं।

धुँधली सी चाँदनी रात में 
यादों की सौगात लिए,
निकल पड़ा हूँ मैं।

जज़्बातों को समेटे, 
इस अधूरेपन को मिटाने,
अब बस निकल पड़ा हूँ मैं।

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