ख़त लिखना तुम
वेणी शंकर पटेल 'ब्रज'बार बार आती हैं यादें ख़त लिखना तुम
भूल न पायें मीठी बातें ख़त लिखना तुम
काग़ज़ कंगन विंदिया और बाहों के घेरे
कैसे काटें लंबी रातें ख़त लिखना तुम
अब भी करती शैतानी क्या नटखट बेटी
विट्टू माँगे नई किताबें ख़त लिखना तुम
अब की बार बदलवा दूँगा चश्मा बाबूजी का
मत करना नम अपनी आँखें ख़त लिखना तुम
जां बाक़ी है डटे रहेंगे करगिल की चोटी पर "ब्रज"
जब सरहद से दुश्मन भागें ख़त लिखना तुम