कभी कमल तो कभी
टटकी कली बाजरे की
कभी राधा का बखान
कभी नख-शिख वर्णन
हर काल की कविता कालजयी है
सबमें सौंदर्य भरा है
झुर्रियों का अपना सौंदर्य है
यौवन का अपना लावण्य है
विज्ञान गल्प की बातें हैं
गहन आध्यत्म का तर्क भी
संयोग वियोग के प्रेमी युगल
या आज की सोशल साइट पर
उभरे कवि और कविता
हर भाव में देह है केंद्र में
देह को त्याग कर
नहीं हो सकती कविता॥