जंग छोड़कर जो भागे थे
वेणी शंकर पटेल 'ब्रज'सच के रास्ते खार बिछे हैं महज ख़्यालों से मतलब क्या
राहे गुल हो तुम्हे मुबारक हमें गुलाबों से मतलब क्या
अपने दिल का पन्ना पन्ना कोरा है क्या तुम पढ़ लोगे
अंधियारे से रिश्तेदारी और उजालों से मतलब क्या
मंज़िल पाना है तो यारो एक तरीक़ा रखना याद
इम्तिहान हैं क़दम क़दम पर व्यर्थ सवालों से मतलब क्या
फूल, चाँदनी, ख़ुशबू, चंदा सबकी बातें बेमानी हैं
पतझड़ जिनके जीवन में हो उन्हें बहारों से मतलब क्या
व्यर्थ हुआ है इंक़लाब के गीत सुनाना उनको भी "ब्रज"
1 टिप्पणियाँ
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बहुत खुब मित्र । बहुत ही अच्छी गजल पढकर मजा आया । बधाई हो ।