जात-पात

01-07-2020

जात-पात

शिवेन्द्र यादव (अंक: 159, जुलाई प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

वर्षा से पूर्व
ग्रीष्म ऋतु में,
जब वाष्पीकरण होता है
तब
नदी, नालों, सागर सब का
जल मिलकर एक हो जाता है।


फिर उनसे बनते हैं- मेघ।
काले मेघ,घोर मेघ।
वो उस जलवाष्प  को
बूँदों में बदलकर,
डाल देते हैं- संसार की झोली में,
बिना पक्षपात।


कुछ बूँदें नदियों में मिल जाती हैं,
कुछ ताल और नालों में।
कुछ खो जाती हैं
वन, पहाड़ों, रेतीले टीलों में।


आकर इस संसार में
हो जाती हैं विभक्त,
कई भागों में, कई नामों में,
ठीक इंसानों की तरह।

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