इंसान नहीं, आप ईश्वर...

01-05-2020

इंसान नहीं, आप ईश्वर...

अभिनव कुमार (अंक: 155, मई प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

स्वीकार कीजिए कृतज्ञता,
देशभक्ति की आप पटकथा।


दिल से आभार,
आप ना मानें हार।


हर समय कार्यशील,
जैसे पत्थर मील।


करें देश की सेवा,
ना रात, ना दिन देखा।


आप हैं जैसे सैनिक,
तत्पर और निर्भीक।


छोड़ परिवार व सुख,
करें देखभाल, भूल ख़ुद।


आपके अनथक प्रयास,
डालते हममें आस।


हम होते स्वस्थ,
आपकी मशक़्क़त।
 

आप डालते ऊर्जा,
खिले चेहरा मुरझा।


भावुक आज है मन,
तारीफ़ अनंत, शब्द कम।


आँखें आज हैं नम,
देख आपका दमखम।


पानी में जैसे नमक,
जाना आपका महत्व।


अनगिनत उपकार,
प्रसन्नतापूर्वक उपचार। 

 
भाव से धन्यवाद,
कम पड़ रहे जज़्बात।
 

आपके बहुत अहसान,
अब तक था अनजान।
 

शुक्रगुज़ार और गर्व,
आप निभा रहे धर्म।


नमन करूँ हाथ जोड़,
ना आप, तो मैं कमज़ोर।


आपका योगदान,
ना चाहे प्रमाण।


लीजिए अभिवादन,
चित्त से अभिनन्दन।


वैद्य, चिकित्सक, डॉक्टर,
इंसान दिखें, पर ईश्वर...

इंसान दिखें, पर ईश्वर...

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