हास्यम् शरणम् गच्छामि

01-07-2019

हास्यम् शरणम् गच्छामि

डॉ. शशि गोयल

हँसी क्या है, और क्यों आती है? हँसी एक प्रबल क्रिया है, जो हृदय गति एवम् रक्त संचार को बढ़ाती है। लय से पूर्ण, ध्वनि युक्त, स्फूर्त क्रिया। एक ध्वनि जो लोगों को आपस में बाँधती है। एक भाषा जिसे हम अभिव्यक्त करते हैं। एक व्यवहार जो मनुष्यों में स्वतः कार्यान्वित होता है। हँसी सर्वजन्य माध्यम है, जो दुनिया को जोड़ती है। यह जीवन की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। यह हृदय की भावनाओं की अभिव्यक्ति है। संसार में जीवों के पास हर संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है। वे रोते हैं, उदास होते हैं, चिड़चिड़ाते हैं। क्रोधित होते हैं। आपस में बात करते हैं, बस उन्हें हँसते हुए नहीं देखा। यह अभिव्यक्ति एक ईश्वरीय उपहार है, इससे प्रकृति खिलखिलाती सी नज़र आती है। एक सकारात्मक ऊर्जा का उत्सर्जन होने लगता है। जैसे अमावस की यवनिका हटा कर सूर्य झाँक दिया हो। दिलों को मिलाने जीतने की सहज अभिव्यक्ति है। ईरानी कहावत है किसी हँसने वाले इंसान के आने से ऐसा लगता है जैसे एक दीपक जल गया हो। यद्यपि कहा यह जाता है कि मनुष्य ही हँस सकता है, परंतु प्रसन्नता का अनुभव तो प्रकृति का कण-कण करता है। हर जीव करता है। सूरज क्रोधित होता है तो उसके ताप से पृथ्वी गरम हो जाती है, अकुला उठती है। लेकिन बसंत की हँसी उसे झूमने पर मजबूर कर देती है। जब कभी अपना मन प्रसन्न होता है तब प्रकृति सुंदर लगती है, थिरकती सी। तब तारे टिमाटमाते नजर आते हैं, तो चंदा जैसे खिलखिला रहा होता है। पर्वत पर बर्फ़ मुस्कराकर रश्मियाँ बिखेर देती है।

हँसी और हास्य के बीच फ़र्क है। हँसी हास्य के प्रति प्रतिक्रिया है। यह प्रतिक्रिया दो तरह से प्रकट होती है। चेहरे के हावभाव और उसके दौरान निकलने वाली आवाज़, इन दोनों का जब संश्लेषण होता है तब हँसी आती है। हँसने से चेहरे की मांसपेशियों में कसाव आता है। त्वचा में चमक आती हैं। हँसी ऐसा मसाज है जो अच्छे-अच्छे व्यूटी पार्लर नहीं दे सकते। जिनकी भृकुटियाँ हर दम तनी रहती हैं उनके माथे पर सलवट, गालों पर लटकन रहती है, आँखों में क्रूरता, बेरुख़ी सी होती है। पर हँसने वाले व्यक्ति की आँखों में चमक सी रहती है।

हर व्यक्ति का जीवन तनाव से भरा है। हँसने से इंसान कुछ देर के लिये कुछ दुःख भूल जाता है। इंकागुअटी थ्योरी के अनुसार तर्क और घटनाएँ जीवन के साधारण ढर्रे से अलग रूप ले लेती हैं, तब हास्य उत्पन्न होता है। एक चुटकुला तब हास्य उत्पन्न करता है जब उसका अंत हमारे अंदाज़ के विपरीत होता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण वल्र्ड ट्रेड सेंटर के समय हुये हमले में बचने के लिये भागते लोगों का अनुभव है, जहाँ जीवन के सबसे भयानक क्षण भी सहज सरल हो गये। उस हमले में बचे राॅड ने अपना अनुभव बताया कि हमले के तुरंत बाद, हम सब कर्मचारी एक साथ सीढ़ियों से नीचे भागे। हमें यह भी नहीं पता था कि आगे हमारी जान बचेगी या नहीं। हम लोग ग्यारहवीं मंज़िल पर पहुँचने तक इतना थक चुके थे कि किसी की आगे जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। तब हमारी एक साथी ने कहा, “क्यों न हम जिस तरह नये साल के आने की खुशी में 10,9,8,7 गिनते हैं उसी तरह हर मंज़िल की गिनती करें।” बस हम सभी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे और गिनते हुए नीचे पहुँच गये।

मानसिक शांति पाने के लिये भी हँसना बहुत आवश्यक है। अनावश्यक भय, अनिद्रा आदि से हँसी दूर रखती है। व्यक्ति की कार्य शक्ति बढ़ जाती है विश्वास जगता है। लाफ़िंग बुद्धा चीन में सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसका गौतम बुद्ध या उनके जीवन से कहीं मेल नहीं है। वह हँसी के द्वारा लोगों को ऊर्जा प्रदान करता है, अर्थात् हँसी जीवन में सुख सौभाग्य लाती है। 

हम दूसरों की ग़लतियों, मूर्खताओं या दुर्भाग्य पर हँसते हैं, लेकिन कभी-कभी हँसी कष्टदायक भी हो जाती है। जब हम किसी का मज़ाक बनाते हैं, छोटी ग़लत हँसी आपके व्यक्तित्व को ही ग़लत ठहरा देती है। किसी की खिल्ली उड़ाना, किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना, किसी की परेशानियों का मज़ाक बनाना हास्य नहीं है। दूसरों को गिराने के लिये न हँसो। दूसरों को देखकर बनावटी हँसी हँसना या अत्यधिक हँसना अनैतिक व्यवहार हो सकता है।

शायद हास्य व्यंग्य से कहीं जन मानस प्रभावित हो। व्यंग्य तीखी कटार की तरह उनके हृदय को मंद कर उन के अंदर के भ्रष्टाचार के दानव का अंत कर दे। उनका हृदय तंत्र साफ़ निर्मल हो। क़लम की धार होती पैनी है, वह जितना तीक्ष्ण वार करती है शायद वास्तविक खंजर न कर सके। चारों ओर अराजकता रिश्वतखोरी, काम न करने की प्रवृति समाज का नासूर बन गई है। दिन व दिन आपराधिक प्रवृति बढ़ती जा रही है। एक आस, एक विश्वास, हम समाज की बुराइयों में एक तो कम कर ही पायेंगे।

हास्य बोध मस्तिष्क की उर्वरता का द्योतक है। वह डर मुक्त बनाता है। जीवन में साहस का संचार होता है। हँसी रिश्तों को मज़बूत बनाती है। साथज़साथ हँसना खिलखिलाना, मुरझाये चेहरों पर ताजगी ला देता है। हास्य बोध के लिये गांधीजी ने कहा है “आज मैं महात्मा बन बैठा हूँ लेकिन ज़िन्दगी में हमेशा कठिनाइयों से लड़ना पड़ा है, क़दम-क़दम पर निराश होना पड़ा है, उस वक़्त मुझमें विनोद न होता तो मैंने कब की आत्महत्या कर ली होती। मेरी विनोद शक्ति ने मुझे निराशा से बचाये रखा है।” अतः हास्यम् शरणम् गच्छामि। केवल पाँच मिनट का विशुद्ध हास्य आपके जीवन को बदल देगा इसलिये हँसिये और स्वस्थ रहिये। इसे जीवन का मूल मंत्र मानिये।

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