गीली मिट्टी
रेखा मैत्रउसने मेरी मिट्टी तो गूँधी
पर गीली ही छोड़ दी
ना अलाव में पकाया
ना धूप में सुखाया
इसीसे लोगों की लगाई चोटें
निशान बनाती गईं
मेरे लाख छुपाए छुपी नहीं
अगर आवाज़ बन्द रखी
तो आँखें बोल गयीं!