बुद्धिजीवी पत्रकार
डॉ. नरेन्द्र ग्रोवर आनंद ’मुसाफ़िर’मैं आज का पत्रकार हूँ
बुद्धिजीवी पत्रकार
कवि से ऊपर का रचनाकार
चित्रकार हूँ
रवि से पहले पहुँच जाता हूँ
मैं एक कलाकार हूँ
घटना घटते ही मैं चित्र बना देता हूँ
बेच देता हूँ
मैं ही रचता घटनाक्रम
निर्धारित करता
पत्रकारिता का पालकर्ता
निर्दोष को दोषी करार देता हूँ
मैं ही वकील न्यायाधीश भी मैं
मैं ही चुनता, मैं ही बुनता
किसे उठाना किसे गिराना
टाँग खींचना सर पे चढ़ाना
इन सब से नाता पुराना
वक़्त अनुसार मैं ढल जाता
कभी-कभी मछुआरा बन जाता
क़लम को अपना जाल बनाता
किसे छिपाना किसे बताना
कौन ख़बर आगे ले आना
ग्राहक जाने मोल चुकाना
ख़बर बेचता चित्र बेचता
दाम मिले चरित्र बेचता
बेच-बेच कर महल बनाया
नेताओं संग विश्व-भ्रमण कर आया
मैं आज का पत्रकार हूँ
बुद्धिजीवी पत्रकार
कवि से ऊपर का रचनाकार