भारत की कथा
उमेश पंसारीभारत के मस्तक पर अंकित,
विजय तिलक सी चमक अलंकृत,
चित में फूल खिलाता हूँ,
अपने देश की कथा सुनाता हूँ।
मध्यम स्वर घनघोर घटा,
हर्ष की वो हर एक छटा,
सौंदर्य देख कर इन सबका,
आनंदित मैं हो जाता हूँ,
अपने देश की कथा सुनाता हूँ।
रवींद्रनाथ का यश जन गण मन,
बंकिमचंद्र का वन्दे मातरम,
श्वेत रंग शांति की धारा,
अशोक चक्र की चौबीस आरा,
केसरिया बलिदान का दर्पण,
हरा रंग समृद्धि अर्पण,
जब भी तिरंगा लहराता है,
झूमता है मेरे मन का हर कण,
मातृभूमि को सब कुछ अर्पण,
देह, स्नेह जीवन का हर तृण,
अस्त-व्यस्त हो जीवन किन्तु,
भारत का है मेरा हर क्षण,
भारत पर इतराता हूँ,
अपने देश की कथा सुनाता हूँ॥