बहुत याद आती हो!

01-09-2020

बहुत याद आती हो!

डॉ. संतोष गौड़ 'राष्ट्रप्रेमी' (अंक: 163, सितम्बर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

आँखों के खुलते ही।
भोर में उठते  ही।
तुम से ही रोशनी,
बाहर निकलते ही।
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो॥
 
अनपढ़ भले ही तुम।
सब कुछ अभी भी तुम।
पास भले आज नहीं,
पास ही खड़ी हो तुम।
पचास का हो गया,
बच्चे सा बहलाती हो।
 
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो॥

मेरे साथ रह लोगी।
सब कुछ सह लोगी।
बनाकर खिलाओगी,
आँखों से बह लोगी।
मेरे दुःख में माँ तुम,
सो नहीं पाती हो।
 
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो॥
 
छोटी सी गुड़िया तू।
नेह की पुड़िया तू।
अभी भी बच्ची है,
समझ में बुढ़िया तू।
बहन तुम छोटी हो,
बिटिया सी थाती हो।
 
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो॥
 
भागता था मन मेरा।
सहारा मिला था तेरा।
तेरी ख़ातिर थम गया,
रुके जहाँ, बना डेरा।
कल की ही बात लगे,
गोद में चढ़ आती हो।
 
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो॥
 
काम से था भाग रहा।
बिना देखे काज रहा।
प्रेरणा बन थाम लिया,
तुम से था फाग रहा।
दूर हुईं बहुत आज,
नहीं मिल पाती हो।
 
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो॥
 
प्रातः भ्रमण पर जाता हूँ।
तुम्हें साथ नहीं पाता हूँ।
योग की, सुहानी वेला में,
क्यूँ? उदास हो जाता हूँ।
साथ में नहीं हो अब,
चटाई नहीं बिछाती हो।
 
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो॥
 
महसूस मुझे होता है।
मेरा अर्धांग रोता है।
निकट अनुभूति बिना,
रात नहीं सोता है।
ग़ुस्सा बहुत झेला पर,
उठ नहीं पाती हो।
 
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो॥
 
क़लम लिए बैठा हूँ।
तुमसे कुछ ऐंठा हूँ।
बच्ची सा सँभालती हो,
भले ही मैं जेठा हूँ।
जबरन उठाकर मुझे,
टूथब्रुश पकड़ाती हो।
 
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो॥
 
सब कुछ मिलता है।
इच्छा से पकता है।
खा नहीं पाता मैं,
भले ही महकता है।
सामने नहीं हो आज,
तुम नहीं खिलाती हो।
 
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो॥
 
मोबाइल अब हाथ में है।
लेपटॉप भी पास में है।
पढ़ नहीं पाता अब,
लेखन तेरी आस में है।
इंतज़ार करता हूँ,
क़लम नहीं छुड़ाती हो।
 
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो॥
 
आती नहीं पाती है।
शनि साढ़े साती है।
तुम नहीं साथ आज,
राह नहीं बुलाती है।
मनाने को नहीं पास,
ग़ुस्सा नहीं दिखाती हो।
 
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो॥
 
माता, बहिन नारी हो।
बेटी, पत्नी प्यारी हो।
कोई भी रिश्ता हो,
नर की दुलारी हो।
नारी बिना नर की कभी,
ज़िंदगी न सुहाती हो।  
 
कोयल ज्यों गाती हो।
बहुत याद आती हो॥

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