बच्चों के मनोरंजन का संपूर्ण दस्तावेज़ है 'स्मार्ट जंगल'

15-08-2021

बच्चों के मनोरंजन का संपूर्ण दस्तावेज़ है 'स्मार्ट जंगल'

अनुज पाल 'सार्थक' (अंक: 187, अगस्त द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)


पुस्तक का नाम: स्मार्ट जंगल
कवि का नाम: डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
प्रकाशक: अक्षर पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स, दिल्ली।
मूल्य:150/-

प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी बच्चों के प्रिय कवि हैं। 2020 में प्रकाशित 'स्मार्ट जंगल' उनका प्रथम बाल कविता संग्रह है। पुस्तक का हरियाली कवर पृष्ठ है, जिसमें जंगल को स्मार्ट रूप में चित्रित किया गया है, बंदर और तोते के चित्र मनमोहक हैं। इस पुस्तक में कवि की 27 कविताएँ संकलित हैं, जो बालमन के क़रीब और मनोरंजन से परिपूर्ण हैं। इन कविताओं को पढ़ते हुए लगता है कि कवि ने जयप्रकाश भारती, हरिकृष्ण देवसरे, राष्ट्रबंधु और दिविक रमेश जैसे प्रतिष्ठित बाल साहित्यकरों का गहनता से अध्ययन किया है।

डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी का हृदय एक शिक्षक का हृदय है। उन्होंने अपनी कल्पना की उड़ान से जंगल को स्मार्ट रूप में देखा है। यह काव्य संग्रह अक्षर पब्लिसर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। इस कविता संग्रह की भूमिका प्रसिद्ध बाल साहित्यकार डॉ. दिविक रमेश ने लिखी है, वे 'स्मार्ट जंगल' कविता का ज़िक्र करते हुए लिखते हैं–

"एक लाइब्रेरी भी होगी,
जिसमें नंदन, चंपक होंगी।
जंगल का अख़बार चलेगा,
तब जंगल स्मार्ट बनेगा।"

डॉ. दिविक रमेश लिखते हैं– "कवि के यहाँ प्रायः बालक के मन के क़रीब जाकर अनुभवों को सहज भाषा-शैली में अभिव्यक्त किया गया है और प्रायः मौलिकता से काम लिया गया है।"

इस काव्य संग्रह की प्रथम कविता 'चिड़िया रानी आ जाओ' में बच्चों के मन से रूबरू कराया है। एक दौर था, जब छोटी-छोटी चिड़ियाँ घर-आँगन में चहचहाती रहती थीं और आज वो चिड़ियाँ ग़ायब हैं। आज मनुष्य ने अपनी सुख-सुविधाओं के कारण किसी को भी नहीं देख रहा है। मोबाइल टावर के कारण न जाने कितने ही पक्षियों की मौत हो जाती है और हो रही है। कवि ने अपने मन के भाव प्रकट किए हैं कि कोई तुम्हें सताएगा तो हम उसको डाँट लगाएँगे, इसकी एक बानगी देखिए–

"चिड़िया रानी फिर से मेरे,
घर आँगन में आ जाओ॥
बिखरे हैं दाने धरती पर,
आकर इनको खा जाओ॥
 
कोई तुम्हें सताएगा तो,
उसको डाँट लगाएँगे।
चिड़िया रानी अपने साथी,
सबको साथ बुला लाओ॥"

डॉ. सिरसवारी जी की कविता 'अब तो छुट्टी शुरू हमारी' बचपन की याद दिलाती है। छुट्टियाँ शुरू होने पर कई दिन पहले से नानी के घर जाने की तैयारी और ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता था और तरह-तरह के खेल, करतब दिखाने के मन में भाव जागते रहते थे। इस कविता के द्वारा कवि ने पेड़ों को लगाकर उनके लाभ गिनाए हैं। आज देखते हैं, पेड़ लगाने की जगह अंधाधुंध काटे जा रहे हैं और अब तो कोरोना ने छुट्टियाँ भी ग़ायब कर दी हैं। कवि ने अपनी सरल, सुगम भाषा में लिखा है–

"अब तो छुट्टी शुरू हमारी,
करतब नए दिखाएँगे।
सबको अपने साथ में लेकर,
नया कुछ कर दिखलाएँगे।
पेड़ लगाकर सब लोगों को,
इनके लाभ गिनाएँगे।
 
इनसे हमें लकड़ियाँ मिलतीं,
फल और फूल दिलाते हैं।"

डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी ने त्योहारों का बड़ा ही मनोरम वर्णन अपनी कविताओं में किया है, जिन्हें पढ़कर मुँह में पानी ही आ जाए और रंगों से सबके लाल-गुलाबी चेहरे, बच्चों का हुड़दंग। वो बचपन कितना सुंदर था और अब न तो वह रंग हैं, न ही हुड़दंग। वे लिखते हैं–

"बड़े पकवान बने हैं घर में,
गुझिया सबके मन को भायी।
उड़े अबीर-गुलाल गली में,
देखो फिर से होली आई।"

वर्तमान समय में बिजली की समस्या सबसे बड़ी समस्या बन गई है। बिजली की समस्या पर ध्यान केंद्रित करते हुए डॉ. सिरसवारी लिखते हैं–

"बिजली रानी बिजली रानी,
करती हो अपनी मनमानी।
कोई समय नहीं आने का,
समय सुनिश्चित जाने का।
बेवक़्त चली तुम जाती हो,
गर्मी में बड़ा सताती हो।"

आज के दौर में जिस तरह वृक्षों की कटाई हो रही है, उससे हमारा जीवन प्रभावित हुआ ही नहीं हुआ, बल्कि आज वृक्षों की कटाई के कारण ऑक्सीजन की कमी भी होने लगी है। कोरोना महामारी के दौरान सभी ने देखा ही है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण न जाने कितने लोगों की असमय मृत्यु हो गई, जिससे मानव जीवन बहुत ही प्रभावित हुआ है। डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी द्वारा रचित कविता 'वृक्ष हमारे सच्चे साथी' दर्शाती है कि वृक्ष हमारे सच्चे जीवन साथी हैं, जिससे धरती की सुरक्षा होती है, बरसात भी ख़ूब होती है और वृक्ष हमें तेज़ धूप से भी बचाते हैं और मीठे फल भी देते हैं। साथ ही हमें निशुल्क ऑक्सीजन और सुरक्षा देते हैं तथा पृथ्वी की ख़ुशहाली बढ़ाते हैं। वे लिखते हैं–

"वृक्ष हमारे सच्चे-साथी,
जीवन-दान हमें ये देते हैं।
धरती की ये करें सुरक्षा,
वर्षा भी ख़ूब कराते हैं।

पल-पल बढ़ते प्रदूषण पर,
रोक भी यही लगाते हैं।
ईंधन देते हमें क़ीमती,
मौसम स्वच्छ बनाते हैं।"

आज हम देखते हैं कि बाज़ार में हर जगह जाम सबसे बड़ी समस्या बन गई है। यातायात नियमों का कोई भी पालन नहीं करता। जिसका जहाँ मन करता है, वहीं पर चल पड़ता है। ऐसे में सबसे ज़्यादा दिक़्क़त स्कूली बच्चों को होती है। जो समय से निकलते हुए भी लेट हो जाते हैं और उन्हें अपने शिक्षकों की डाँट भी खानी पड़ती है। इस समस्या पर किसी का भी कोई ध्यान नहीं जाता और न ही कोई समाधान किया जाता है। बालमन को गहनता से समझने वाले बाल साहित्यकार डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी अपनी कविता 'जाम बना है बड़ी समस्या' में लिखते हैं कि डीएम अंकल आप इस जाम की समस्या से निजात दिलाओ। यातायात नियमों की ऐसी व्यवस्था बनाओ जिससे कि हमें इस समस्या से निजात मिल सके–

"जाम बना है बड़ी समस्या,
कोई इसको सुलझाओ।
डीएम अंकल आप ज़रा सा,
गौर यहाँ पर फ़रमाओ।
 
मेरे प्यारे अफ़सर अंकल,
जाम की दिक़्क़त कर दो दूर।
यातायात नियम पालन हों,
यही व्यवस्था बनवाओ।''

डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी अपनी कविता 'मोबाइल की महिमा' में लिखते हैं कि आज के समय में हमारे लिए मोबाइल बहुत कारगर हो गया है। हम कहीं भी, कितनी भी दूर और किसी भी जगह क्यों न हों, बस! बटन दबाया, पल में दूर-दूर की ख़बर तुरंत मिल जाती है। कोसों दूर मित्र, भाई, माँ-बाप रिश्तेदार किसी से भी बातचीत हो जाती है। ऐसा लगता है कि हम दूर नहीं, पास ही हैं और यहाँ तक कि मोबाइल से ही हर कठिन चीज़ आसान होती जा रही है। वे लिखते हैं–

"आज मोबाइल हमारा तुमने,
कितना जीवन सुगम बनाया।
बटन दबाया घन-घन-घन-घन,
फ़ौरन ख़बर दूर से लाया।
 
ग़ज़ब हुआ इक रात भयंकर,
नेहा नींद में सोई थी।
घुस आए थे चोर कहीं से,
वह तो तनिक न रोई थी।
सूझा उसे उपाय एक तो,
डायल 100 पर फोन लगाया।
चोर घुसे हैं मेरे घर में,
थानेदार दौड़ेकर आया।"

वर्ष 2020 विश्व के लिए एक बड़ी आपदा लेकर आया, जिसका भयंकर रूप हमें देखने को मिला, जिसका क़हर आज तक जारी है। कवि ने इसका संज्ञान लेते हुए कोरोना पर कविता रची है, जिसमें बच्चों को संदेश देते हुए लिखते हैं–

"घर पर रहकर करो पढ़ाई,
बाहर कहीं न जाना है।
स्वयं अपनी करो सुरक्षा,
सबको यही बताना है।
 
कोरोना हारेगा और हम,
विश्व विजयी कहलाएँगे।
स्वयं करेंगे सुरक्षा अपनी,
पताका विश्व में फहराएँगे।"

कवर कविता 'स्मार्ट जंगल' में कवि लिखता है कि जंगल में किस तरह से सारी सुख-सुविधाएँ होनी चाहिए, जहाँ हर चीज़ उपलब्ध होगी, तभी तो जंगल स्मार्ट बनेगा, इस सुंदर कविता को आप भी गुनगुना सकते हैं–

"जानवरों ने सभा बुलाई,
सबने 'वन' की बात उठाई॥
 
कब होगा 'स्मार्ट ये जंगल'?
हम कब मौज उड़ाएँगे?
पीएम जी ने दिया भरोसा,
सबके दिन अच्छे आएँगे।
 
एक बनेगा स्वीमिंग पूल,
खेल का एक मैदान रहेगा।
लकड़ी कोई नहीं काटेगा,
'हंटर' पर भी 'बैन' रहेगा॥"

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि 'स्मार्ट जंगल' काव्य संग्रह बच्चों का भरपूर मनोरंजन करेगा, उन्हें आगे बढ़ने की सीख देगा, उनमें ऊर्जा का संचार करेगा, उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। सुंदर कविताओं के संकलन के लिए 'स्मार्ट जंगल' कविता संग्रह के कवि को मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई।

संपर्क:
अनुज पाल 'सार्थक'
ग्रा. आटा, पो. मौलागढ़,
तह. चंदौसी, जि. सम्भल
(उ.प्र.)-244412

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