अस्तित्व

01-08-2021

अस्तित्व

स्नेह दत्त (अंक: 186, अगस्त प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

तुम अगर अपनी पहचान बताओ तो
कहना कि
पायल, बिछुये, महावर, सिंदूर, चूड़ियाँ
मेरा शृंगार हैं, 
मेरी सीमाएँ नहीं।
रसोई, मेरा प्यार बाँटने के लिए है, 
बाँधने के लिए नहीं।
लाज मेरे स्वभाव में है, 
खोखले आदर्शों तक सीमित गहना मात्र नहीं।
पूजे जाने की घंटियाँ अनसुनी कर, 
अपने अस्तित्व की तलाश कर चुकी हूँ।
 
तुम्हारा आत्मविश्वास, 
बहुत खटकेगा।
उसकी धज्जियाँ उड़ाने
लोग अटकलों की प्रतियोगिता में भाग लेंगे।
तुम्हारे चरित्र पर सवाल किये जायेंगे।
पुरानी रीत है।
सीता ने इन सवालों का जवाब, 
धरती में समा कर दिया था
पर तुम
तमाम सवालों के जवाब देना।
नुकीले जवाब
और
पूछना भी तीखे सवाल।
 
निर्णय लेने की क्षमता है तुम में
यह सच स्वीकार करने में
लोग अपना अपना समय लेंगे, 
देती रहना, मगर
ख़ामोशी मत चुनना।

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