अन्तर्मन की सुन लेना

15-05-2019

अन्तर्मन की सुन लेना

पंकज गुप्ता

जब घोर अँधेरा छा जाये
कोई राह नज़र भी न आये
सब कुछ बिखरा बिखरा जाये
जब कोई तुमको बहकाये
तुम अपनी आँखें बन्द करना
और अन्तर्मन की सुन लेना
मुमकिन है हम सब झूठ कहें 
पर अन्तर्मन सच बोलेगा...

 

जब दिल मुश्किल में पड़ जाये
कोई उम्मीद नज़र भी न आये
जब बात आन की आ जाये
राहों में काँटे बिछ जायें
तुम अपनी आँखें बन्द करना
और अन्तर्मन की सुन लेना
मुमकिन है हम सब झूठ कहें
पर अन्तर्मन सच बोलेगा...

 

जब ग़लत सही में घिर जाओ
तुम अपनी नज़र में गिर जाओ
जब दुनिया तुमको तड़पाये
कोई तुमको जब उकसाये
तुम अपनी आँखें बन्द करना
और अन्तर्मन की सुन लेना
मुमकिन है हम सब झूठ कहें
पर अन्तर्मन सच बोलेगा...

 

जब लगे कि हम मिट जाएँगे
अब सूली चढ़ जाएँगे
जब सारी आशा धूमिल हो
मन चिंतित और भूमिल हो
तुम अपनी आँखें बन्द करना
और अन्तर्मन की सुन लेना
मुमकिन है हम सब झूठ कहें
पर अन्तर्मन सच बोलेगा....

 

जब कोई मुश्किल आन पड़े तो
घबराने से क्या होगा
जीने की तरकीब निकालो
मर जाने से क्या होगा
तुम अपनी आँखें बन्द करना
और अन्तर्मन की सुन लेना
मुमकिन है हम सब झूठ कहे 
पर अन्तर्मन सच बोलेगा....

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