अकेला रह जाता हूँ
उमेश चरपेमुझे अच्छा नहीं लगता
दो रुपयों के लिए
झूठ बोलना
मुझे अच्छा नहीं लगता
दुःख को छुपाकर
जोकर की तरह हँसाना
मुझे अच्छा नहीं लगता
जी हुज़ूरी में अपनी
आत्मा बेचना
मुझे अच्छा लगता है
सच बोलना
इसलिए अकेला रह जाता हूँ