आवरण
नरेश अग्रवालअचानक कोई जाग जाएगा
और देखेगा जो उसने खोया था
पा लिया है
और हर पायी हुई चीज़ को
रखना पड़ता है सुरक्षित अपने पास ही
और संचय पुराने होते जाते हैं
समय उन्हें ढकते चला जाता है
आवरण पर आवरण
और जीवन के आवरणों से ढकी हुई चीज़ों से
किसी बहुमूल्य को निकाल लेता हूँ एक दिन
सारी सफाई के बाद एक उत्तम खनिज
जीवन के किस रस में ढालना है इसे
अब यह हमारी बारी है।