वह मज़दूर

01-12-2025

वह मज़दूर

जयचन्द प्रजापति ‘जय’ (अंक: 289, दिसंबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

वह मज़दूर
कठिन परिश्रम से
बना रहा है देश को
नव पथ को
नये रूप में ढाल रहा है
फिर भी जीता है
फटी ज़िन्दगी
 
हर साल
मनाया जाता है
मज़दूर दिवस
नये नये वादे
वोट के लिये
गढ़ दिये जाते हैं
लालच का पुलिंदा
झुनझुने की तरह
थमा दिये जाते हैं
 
कब बदलेगी
तस्वीर
उनके जीवन की
कब तक वोट के लिये
घिनौना राजनीति होगी
या उसकी विवशता पर
चाबुक गिरता रहेगा

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