शिक्षा में नई डिग्री—बीएलओ बीएड
वीरेन्द्र बहादुर सिंह
“अरे बच्चों, स्कूल के बाहर क्यों घूम रहे हो? अपने मास्टर साहब से जाकर कहो कि इंस्पेक्शन आए हैं।”
इंस्पेक्शन की टीम गाँव में पहुँची और स्कूल के बाहर खड़े होकर आवाज़ लगाई। एक लड़का बोला, “हमारे एक साहब को पशुधन गिनने की ड्यूटी मिली है, इसलिए वह गाँव में घूम-घूमकर जानवर गिन रहे हैं। दूसरे साहब खेतों में फ़सल का सर्वे करने गए हैं और तीसरे साहब स्कूल की गिरती हुई दीवार की देखभाल कर रहे हैं।”
“दीवार गिरने” की बात सुनकर टीम के साहब ने अपने पैर थोड़ा पीछे खींच लिए। तभी अंदर से शिक्षक बाहर आए।
“आइए साहबों, अतिथि देवो भव . . . बताइए, स्कूल के बाहर कैसे भूल से भटक गए?”
टीम के मुखिया ने सख़्ती से कहा, “हम निरीक्षण के लिए आए हैं, देखना है कि आप बच्चों को क्या पढ़ाते हैं। बताइए, इन बच्चों को गणित में क्या सिखाया है?”
शिक्षक ने बड़ी सहजता से कहा, “एक सवाल दिया है, अगर एक बीएलओ दो घंटे में 40 घर ‘निपटा’ सकता है तो चार बीएलओ आधे घंटे में कितने घर ‘निपटा’ सकेंगे?”
सवाल सुनकर मुखिया साहब ख़ुद ही असहज हो गए। फिर उन्होंने दूसरा सवाल किया, “गणित छोड़िए, भाषा में क्या पढ़ाया है?”
शिक्षक गर्व से बोले, “यही कि मतदाता और नागरिक समानार्थी नहीं हैं।”
मुखिया और उलझ गए। टीम के दूसरे सदस्य ने बातचीत आगे बढ़ाई, “बच्चों को भूगोल जैसा कुछ भी पढ़ाते हैं या नहीं?”
शिक्षक ने आँख पर हाथ रखकर दूर देखते हुए कहा, “बच्चों को दिशा ज्ञान भी दिया है। उन्हें बताया है कि सरकारी रैली निकालनी हो तो स्कूल के गेट से गाँव के चौराहे की तरफ़ जाते समय दक्षिण दिशा में बढ़ना है या पूर्व दिशा में। यह भी सिखाया है कि यदि सरकारी रैली में सुबह-सुबह सभी बच्चों को जाना हो और उसका सबूत सेल्फ़ी के रूप में ऊपर के ऑफ़िस भेजना हो तो साढ़े सात बजे सूरज किस दिशा में रहेगा, ताकि सेल्फ़ी अच्छी आए।”
तीसरे निरीक्षक ने चिढ़कर कहा, “मास्टर साहब, ज़्यादा चतुराई मत दिखाइए। स्कूल का रिज़ल्ट क्या आता है, वह बताइए।”
शिक्षक बोले, “जैसे देश और राज्य में सरकारें ‘रिपीट ’ होती रहती हैं, वैसे ही हमारी स्कूल में भी 90 प्रतिशत बच्चे हर कक्षा में दो-दो, तीन-तीन साल ‘रिपीट’ होते रहते हैं। बताइए, ख़ुशी की बात है न?”
गाँव की ठंडी हवा में भी पसीना पोंछते हुए टीम के मुखिया बोले, “बास, दया करो। यह तो बताओ कि ऐसा ज्ञान तुमने किस प्रशिक्षण संस्था से लिया है?”
शिक्षक दृढ़ता से बोले, “मैं बीएलओ बीएड हूँ। एक ही हफ़्ते में 420 फार्म भरने का रिकार्ड मेरे नाम है। बोलो, और कुछ पूछना है?”
इतना सुनते ही स्कूल की दीवार और निरीक्षण टीम के मुखिया, दोनों धड़ाम से नीचे गिर पड़े।
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस सभी विषय पढ़ा सकता है, पर घर-घर जाकर फ़ॉर्म नहीं भरवा सकता!
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