राजा सिंह के सहयोगी नेता नेवला कुमार के चुनाव जीतने का रहस्य

01-12-2025

राजा सिंह के सहयोगी नेता नेवला कुमार के चुनाव जीतने का रहस्य

वीरेन्द्र बहादुर सिंह  (अंक: 289, दिसंबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

गिरगिट को भी शरम आ जाए ऐसी अदा से रंग बदलने में माहिर नेवला कुमार जंगल के एक हिस्से के मुख्यमंत्री थे। राजा सिंह की सलाह से नेवला कुमार फिर मैदान मार गए . . . 

पूरा जंगल राजा सिंह के अधीन था और जंगल के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग मुख्यमंत्री शासन सँभालते थे। जंगल की प्रशासनिक व्यवस्था ऐसी थी कि स्थानीय विभागों का संचालन मुख्यमंत्री करते और उनमें जंगल के राजा सिंह अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से सहायता देते। जंगल के विभागों में समय-समय पर चुनाव होते रहते थे, जिनमें राजा सिंह की पार्टी और विपक्ष के नेता ख़रगोश की पार्टी के नेता जीतने के लिए पूरा ज़ोर लगा देते थे। नेवला कुमार काफ़ी समय से जंगल के एक हिस्से के मुख्यमंत्री थे। 

नेवला कुमार की ख़ासियत यह थी कि यदि किसी चुनाव में उन्हें बहुमत न भी मिलता तो भी किसी न किसी तरह अन्य नेताओं की मदद लेकर कुर्सी हथिया लेते। मतदाता किस ओर झुकेंगे, नेवला कुमार मिट्टी में सिर डालकर सूँघ लेते और फिर उसी हिसाब से नेताओं की मदद ले लेते। पिछली बार उन्होंने ख़रगोश की सहायता से मुख्यमंत्री की कुर्सी पाई थी। फिर समय बदलते देख उन्होंने राजा सिंह को सहयोगी बना लिया। इसी गुण की वजह से नेवला कुमार को पलटू उपनाम मिला था। 

नेवला कुमार पलटू और राजा सिंह के गठबंधन के सामने विपक्ष के नेता ख़रगोश और उनके सहायक तिकड़म लाल पूरी ताक़त से प्रचार कर रहे थे। यह तिकड़मलाल बहुत आक्रामक प्रचार करते थे और पूरे जंगल में घूमते थे, इसलिए समर्थक उन्हें तिकड़मलाल तेज़तर्रार कहते थे। तिकड़मलाल की मेहनत देखकर जंगल में चर्चा थी कि इस बार तो तिकड़मलाल ही मुख्यमंत्री बनेंगे। 

राजा सिंह ने नेवला कुमार पलटू को जिताने के लिए भक्त शिरोमणि कार्यकर्ता भेड़ाभाई घासफूसिया के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं की फ़ौज प्रचार में लगा दी थी। ये कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर राजा सिंह और नेवला कुमार की दोस्ती का भरपूर प्रचार कर रहे थे। राजा सिंह ने अपनी सरकार के सभी दरबारियों को भी नेवला कुमार का प्रचार करने का आदेश दिया था। नतीजतन, रीछभाई से लेकर हाथीभाई हरखपदूड़ा तक सभी नेता प्रचार करने पहुँच गए थे। यह सब होने के बाद भी नेवला कुमार के पक्ष में अपेक्षित माहौल नहीं बन पा रहा था। राजा सिंह ख़ुद भी तरह-तरह का वेश धारण कर मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रहे थे, पर मनचाहा परिणाम दिख नहीं रहा था। राजा सिंह गहरी चिंता में थे। 

राजा सिंह ने अपने निजी राजनीतिक सलाहकार रीछभाई से चर्चा की। रीछभाई ने राजा सिंह को कलकलिया कलमघसू द्वारा तैयार योजनाओं की सूची दिखाई। कलकलिया कलमघसू, राजा सिंह के भाषण लिखने के साथ-साथ योजनाओं के नए-नए रचनात्मक नाम ढूँढ़ने में भी माहिर था। उसके दिए नामों का उपयोग करके राजा सिंह पहले भी कई चुनावों में फ़ायदा उठा चुके थे। उनमें से सबसे असरदार योजना का नाम था ‘लाड़ली मादा योजना।’ कलकलिया ने योजना का विवरण भी लिखा था। राजा सिंह ने पढ़ा—‘सुंदर दिखना हर मादा का जन्मसिद्ध शौक़ है। उन्हें ब्यूटी प्रोडक्ट का उपहार बहुत पसंद आता है। योजना के तहत यदि ब्यूटी प्रोडक्ट ख़रीदने के लिए आर्थिक सहायता दी जाए तो मादाओं का वोट बैंक हमारा हो जाएगा।’

“वेरी गुड, तुम्हारी ख़ासियत यही है कि तुम्हें सही समय पर सही बात याद आती है।” सिंह ने रीछभाई की तारीफ़ की और तुरंत नेवला कुमार को फोन कर सलाह दी, “चुनाव जीतना है तो योजनाओं का लाभ मादाओं को दो। अपने क्षेत्र की हर मादा को ब्यूटी प्रोडक्ट ख़रीदने के लिए आर्थिक सहायता दो, फिर जीत पक्की है।”

“लेकिन मेरे पास फ़ंड ही नहीं है। जितना था, सब सुरक्षा और अपनी लाइफ़स्टाइल पर ख़र्च कर दिया। बाक़ी आपकी सलाह से पार्टी फ़ंड में जमा करा दिया। अब फ़ंड दूँगा तो मेरे पास कुछ बचेगा नहीं,” नेवला कुमार ने चिंता जताई। 

“अरे इसकी चिंता मत करो! हम नर-समाज से एक न एक तरीक़े से टैक्स वसूल कर मादाओं को देते ही रहते हैं। हमारा क्या जाता है? तुम तुरंत मादाओं को बड़ी रक़म दे दो।”

“जी महाराजा।”

राजा सिंह के कहे अनुसार नेवला ठकुमार ने मादाओं के बैंक खातों में ब्यूटी प्रोडक्ट ख़रीदने के लिए बड़ी रक़म ट्रांसफ़र कर दी। विपक्ष के नेता ख़रगोश और तिकड़मलाल तेज़तर्रार ने कड़ा विरोध किया। चुनाव कराने वाले बाज़ समाज के पास पहुँचकर शिकायत की। कहा कि चल रहे चुनाव में फ़ंड ट्रांसफ़र करना नियमों का उल्लंघन है। मगर बाज़ों ने साफ़-साफ़ कहा, “आप लोग बेकार का विरोध मत कीजिए। राजा सिंह जो कहें, वही अंतिम होता है। हमें कुछ नहीं कहना।” 

नेवला कुमार द्वारा मादाओं के खातों में आर्थिक सहायता देने के अगले दिन मतदान हुआ। मादाओं ने बढ़-चढ़कर नेवला कुमार को वोट दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने नर-समाज पर दबाव डालकर भी नेवला कुमार के पक्ष में वोट डलवाए। मादाओं के एक समूह ने नारा लगाया “हमारा नेता कैसा हो?” 

दूसरे समूह ने जवाब दिया, “नेवला कुमार जैसा पलटू हो।”

और फिर राजा सिंह के निर्देश पर बाज़ों ने परिणाम घोषित किया, “नेवला कुमार पलटू एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए हैं।”

परिणाम वाले दिन सिंह-नेवला की जोड़ी ने नाच-गाकर विजय का उत्सव मनाया। 

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