बंदर मामा

जयचन्द प्रजापति ‘जय’ (अंक: 288, नवम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

बंदर मामा बंदरिया लाये, 
ढोल, मजीरा साथ भी लाये। 
 
बंदर ढोल मजीरा बजाया, 
बंदरिया ने नाच दिखाया। 
 
सब ने ताली ख़ूब बजाया, 
बच्चों ने हल्ला ख़ूब मचाया। 
 
बंदर ने ऐसा खेल खेला, 
लग गया लोगों का मेला। 
  
बंदरिया ने सबसे माँगा पैसा, 
सबने दिया उसको छुट्टा पैसा। 

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