हलधर नाग का काव्य संसार

हलधर नाग का काव्य संसार  (रचनाकार - दिनेश कुमार माली)

संचार धुन में गीत

 

इस मिट्टी के पानी, पवन में गढ़ा है मेरा जीवन 
इस मिट्टी के पानी पवन में
सागवान के सुंदर झार, इतने सुंदर पहाड़ झर झर झर 
झरते झरन
इस मिट्टी के पानी, पवन॥
 
इस मिट्टी की महिमा, इस मिट्टी की गरिमा, इस मिट्टी का उड़ता बाना 
इस मिट्टी में फलती सोने की फ़सल, इस मिट्टी से मिलता दाना 
इस मिट्टी की महक महमह, यह मिट्टी हँसती टहटह 
(सुनो तो) कोयल का गान 
इस मिट्टी के पानी, पवन॥
 
इस मिट्टी में आए वीर सुरेंद्र साय, माधो, हटे योद्धागण 
किसी को कालापानी, किसी को जेल और किसी की फाँसी में गई जान 
इस मिट्टी में पैदा हुए कविवर भीम भोई, गंगाधर और कवि खगेश्वर 
(जो भी) किया रचन 
इस मिट्टी के पानी, पवन॥
 
इस मिट्टी का सत, गुलाटी रथ, हरि शंकर, नरसिंह नाथ
माँ महामयी समलेई भक्तिपूर्वक जोड़ता हाथ
संबलपुरी बोली हो, या कोसली हो, गुड़ की तरह मीठी 
(यह भाषा) कितनी महान 
इस मिट्टी के पानी, पवन॥

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