हलधर नाग का काव्य संसार

हलधर नाग का काव्य संसार  (रचनाकार - दिनेश कुमार माली)

तितली

 

पंख फैलाकर उड़ती तितली उपवन-कूल 
मज़े से पीकर रस इस फूल से उस फूल। 
 
रंग-बिरंगे उसके दोनों सुंदर डेना, 
सीने पर रखने से लगते सुहावने। 
 
कभी था लार्वा, शरीर में विष, 
रोयेंदार रोंगटे, देखने में छिः! छिः!
 
धीरे-धीरे बदल गया रूप, 
पाती प्रशंसा बन तितली स्वरूप। 
 
अज्ञान से ज्ञान, ज्ञान से ध्यान, बदलती जीवन-धारा 
ज्ञान के डेनों से उड़ता मनुष्य संसार सारा। 
 
अंधकार से प्रकाश, नर्क से स्वर्ग, ये हैं कर्म गति, 
तितली की तरह पाता आदर, जीवन की उन्नति। 

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