हलधर नाग का काव्य संसार (रचनाकार - दिनेश कुमार माली)
स्वच्छ भारत
आकाश, मिट्टी, पानी-पवन, निर्मल परिवेश
होने जा रहा एक उन्नत स्वच्छ भारत देश।
गाँव से दूर, गड्ढा खोदकर कचरा उसमें फेंक;
बाट, घाट, गली, नदी, नाला, हमेशा साफ़ रख।
गाँव के आस-पास पेड़-पौधों को काटने से करो मना;
कौन नहीं जानता, हे भाई! पेड़ हमें देते ऑक्सीजन।
खेतों, तालाबों, सड़क-किनारे हैं पेड़ों की दरकार
हर घर में शौचालय की सुविधा देगी सरकार।
विदेशी कला-संस्कृति करती हमें दुर्बल,
चाहिए समाज को इसी समय सँभल।
एक ईस्ट इंडिया गई तो आई पाँच हज़ार
कारख़ानों के निर्गत धुएँ से हवा हो गई कदाकार।
उर्वरक कीटनाशक प्रदूषित करते खेत;
मानव-हित के जीव होने लगे समाप्त।
आलू, बैंगन, परवल, टमाटर,
ज़हरीले रसायनों से भरे, भले दिखते सुंदर।
कहाँ से आई पॉलीथिन जरी, भरने को सारे संपद;
नहीं मिट्टी निगलती, नहीं पानी मिटाता, जलाना भी एक विपद।
गाँवों को छोड़ कर हो गए लोग शहरवासी;
प्रदूषित पवन में लेते साँस आठकाल बारहमासी।
मक्खी-मच्छरों की खदान शहर, पैदा करते नाना रोग;
रामदेव बाबा कहते लोगों से, करो प्राणायाम योग।
दिन-दिन कितने नए रोग, डॉक्टरों को भी नहीं पता;
ख़ुद तो डॉक्टर भागते फिरते वेल्लोर की अस्पताल।
करो खेती चावल, सूनाकाठी, मागुरा, संपरी, झूली
गोबर खाद वाली फ़सलों की करो बिकवाली।
छोड़ रसायनिक खाद, संकर धान, विदेशी कारोबार
अतीत को झाँके, हमें स्वच्छ भारत की दरकार।
भारतीय हम हिंदू, ईसाई और मुसलमान,
राम, कृष्ण, अल्लाह, मुहम्मद, यीशू सब एक ही भगवान।
युगों-युगों से अखंड-भारत, नहीं हुए टुकड़े अनेक
स्वच्छ भारत में, फहराने दो भाइयों, तिरंगा एक।
विषय सूची
- समर्पित
- भूमिका
- अभिमत
- अनुवादक की क़लम से . . .
- प्रथम सर्ग
- श्री समेलई
- पहला सर्ग
- दूसरा सर्ग
- तीसरा सर्ग
- चौथा सर्ग
- हमारे गाँव का श्मशान-घाट
- लाभ
- एक मुट्ठी चावल के लिए
- कुंजल पारा
- चैत (मार्च) की सुबह
- नर्तकी
- भ्रम का बाज़ार
- कामधेनु
- ज़रा सोचो
- दुखी हमेशा अहंकार
- रंग लगे बूढ़े का अंतिम संस्कार
- पशु और मनुष्य
- चेतावनी
- स्वच्छ भारत
- तितली
- कहानी ख़त्म
- छोटे भाई का साहस
- संचार धुन में गीत
- मिट्टी का आदर
- अछूत – (1-100)
लेखक की कृतियाँ
- साहित्यिक आलेख
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- अमेरिकन जीवन-शैली को खंगालती कहानियाँ
- आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की ‘विज्ञान-वार्ता’
- आधी दुनिया के सवाल : जवाब हैं किसके पास?
- इंसानियत तलाशता अनवर सुहैल का उपन्यास ’पहचान’
- कुछ स्मृतियाँ: डॉ. दिनेश्वर प्रसाद जी के साथ
- गिरीश पंकज के प्रसिद्ध उपन्यास ‘एक गाय की आत्मकथा’ की यथार्थ गाथा
- डॉ. विमला भण्डारी का काव्य-संसार
- दुनिया की आधी आबादी को चुनौती देती हुई कविताएँ: प्रोफ़ेसर असीम रंजन पारही का कविता—संग्रह ‘पिताओं और पुत्रों की’
- धर्म के नाम पर ख़तरे में मानवता: ‘जेहादन एवम् अन्य कहानियाँ’
- प्रोफ़ेसर प्रभा पंत के बाल साहित्य से गुज़रते हुए . . .
- भारत और नीदरलैंड की लोक-कथाओं का तुलनात्मक विवेचन
- भारत के उत्तर से दक्षिण तक एकता के सूत्र तलाशता डॉ. नीता चौबीसा का यात्रा-वृत्तान्त: ‘सप्तरथी का प्रवास’
- मुकम्मल इश्क़ की अधूरी दास्तान: एक सम्यक विवेचन
- मुस्लिम परिवार की दुर्दशा को दर्शाता अनवर सुहैल का उपन्यास ‘मेरे दुःख की दवा करे कोई’
- मेरी नज़रों में ‘राजस्थान के साहित्य साधक’
- रेत समाधि : कथानक, भाषा-शिल्प एवं अनुवाद
- वृत्तीय विवेचन ‘अथर्वा’ का
- सात समुंदर पार से तोतों के गणतांत्रिक देश की पड़ताल
- सोद्देश्यपरक दीर्घ कहानियों के प्रमुख स्तम्भ: श्री हरिचरण प्रकाश
- व्यक्ति चित्र
- पुस्तक समीक्षा
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- कार्यक्रम रिपोर्ट
- अनूदित कविता
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