हलधर नाग का काव्य संसार (रचनाकार - दिनेश कुमार माली)
कुंजल पारा
थिरक उठा संबलपुर
बजा गुमरी बाजा
हाथी पर चढ़कर,
आया वीर सुरेन्द्र राजा।
साथ में ठाटबाट, पुत्र, प्रजा
ग्राम प्रधान, ज़मींदार
देवता सभी स्वर्ग में
फिर इन्द्र क्यों बाहर?
दरवाज़ों पर औरतें और लड़कियाँ,
देख रही नज़ारा गली-गली
कलश बैठा, दिए जलाकर
करने लगी हुलहुली।
नाचते-गाते-जश्न मनाते
हाथ-लाठी हिलाहिला कर
“समलेई माईं की जय, समलेई माईं की जय, “
समवेत स्वर में गाकर।
शराब, गाँजा या अफ़ीम खाकर,
हाथी हो गया उन्मादित
भगदड़ मची, रौंदा, कुचला
नाना प्रकार के उत्पात।
जिसे भी देखा, पैरों के नीचे दे कुचला
सूँड़ से पकड़कर
छिन्न-भिन्न होकर भागे लोग,
दहशत से इधर-उधर।
आगे-पीछे कुचलने लगा
जैसे क्रोधित साँड़
बाड़ खपरैल तोड़कर
कुछ लोग भागे ख़ाली डाँड।
महावत नीचे गिर गया सीधे
फट गई उसकी छाती
राजा बैठा मूर्तिवत
तेज़ी से आगे भागा हाथी।
कितना हंगामा, कितना कोलाहल
नष्ट हो गया समूल गाँव
जल चढ़ाकर प्रार्थना करने लगे,
माँ समलेई, बचाओ हमारी जीवन नांव।
घोड़े पर आ रहा था पीछे
घेंस गाँव का ज़मींदार।
उनका नाम कुंजल, जाति बिंजबल,
साठ बैलों का भुजबल।
दौड़कर पकड़ा हाथी,
जैसे बाघ ने बोला धावा
भीम-गर्जन कर पकड़ा उसे,
हिला नहीं सका हाथी-पाँव।
टमाटर-सब्जी में अरंडी की तरह,
हो गया हाथी निस्तेज
पूँछ पकड़ पछाड़ा उसे
बच गए महाराज।
दौड़कर राजा ने गले लगाया,
कुंजल सिंह को अपने वक्ष,
“आपकी कृपा से बच गया,
नाव डूब रही थी अपने अक्ष।
“तुम मेरे दाहिने हाथ हो, कुंजल
तुम मेरे धर्म भाई
तुम्हारा हमेशा ऋणी,
राजा सुरेन्द्र साईं।
“संबलपुर का हिस्सा तुम्हें दे रहा हूँ,
महानदी नदी के उस पार
आज से होगा नाम उसका
कुंजल-पारा”
विषय सूची
- समर्पित
- भूमिका
- अभिमत
- अनुवादक की क़लम से . . .
- प्रथम सर्ग
- श्री समेलई
- पहला सर्ग
- दूसरा सर्ग
- तीसरा सर्ग
- चौथा सर्ग
- हमारे गाँव का श्मशान-घाट
- लाभ
- एक मुट्ठी चावल के लिए
- कुंजल पारा
- चैत (मार्च) की सुबह
- नर्तकी
- भ्रम का बाज़ार
- कामधेनु
- ज़रा सोचो
- दुखी हमेशा अहंकार
- रंग लगे बूढ़े का अंतिम संस्कार
- पशु और मनुष्य
- चेतावनी
- स्वच्छ भारत
- तितली
- कहानी ख़त्म
- छोटे भाई का साहस
- संचार धुन में गीत
- मिट्टी का आदर
- अछूत – (1-100)
लेखक की कृतियाँ
- साहित्यिक आलेख
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- अमेरिकन जीवन-शैली को खंगालती कहानियाँ
- आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की ‘विज्ञान-वार्ता’
- आधी दुनिया के सवाल : जवाब हैं किसके पास?
- इंसानियत तलाशता अनवर सुहैल का उपन्यास ’पहचान’
- कुछ स्मृतियाँ: डॉ. दिनेश्वर प्रसाद जी के साथ
- गिरीश पंकज के प्रसिद्ध उपन्यास ‘एक गाय की आत्मकथा’ की यथार्थ गाथा
- डॉ. विमला भण्डारी का काव्य-संसार
- दुनिया की आधी आबादी को चुनौती देती हुई कविताएँ: प्रोफ़ेसर असीम रंजन पारही का कविता—संग्रह ‘पिताओं और पुत्रों की’
- धर्म के नाम पर ख़तरे में मानवता: ‘जेहादन एवम् अन्य कहानियाँ’
- प्रोफ़ेसर प्रभा पंत के बाल साहित्य से गुज़रते हुए . . .
- भारत और नीदरलैंड की लोक-कथाओं का तुलनात्मक विवेचन
- भारत के उत्तर से दक्षिण तक एकता के सूत्र तलाशता डॉ. नीता चौबीसा का यात्रा-वृत्तान्त: ‘सप्तरथी का प्रवास’
- मुकम्मल इश्क़ की अधूरी दास्तान: एक सम्यक विवेचन
- मुस्लिम परिवार की दुर्दशा को दर्शाता अनवर सुहैल का उपन्यास ‘मेरे दुःख की दवा करे कोई’
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