अविनाश वाचस्पति

अविनाश वाचस्पति

अविनाश वाचस्पति

शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय से कला स्नातक,  भारतीय जन संचार संस्थान से ’संचार परिचय’, (१९८०) तथा हिन्दी पत्रकारिता पाठ्यक्रम (१९८३)
विधाएँ : सभी साहित्यिक विधाओं में लेखन, परंतु व्यंग्य, कविता,  बाल कविता एवं फिल्म पत्रकारिता प्रमुख
उपलब्धियाँ : पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित। जिनमें नई दिल्ली से प्रकाशित दैनिक नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, जनसत्ता, सुमन सौरभ, दिग्विजय, स्क्रीन वर्ल्ड इत्यादि उल्लेखनीय।

इंटरनेट पत्रिकाओं : अनुभूति, अभिव्यक्ति, साहित्यकुंज इत्यादि में प्रमुखतः व्यंग्य और कवितायें प्रकाशित।

अनेक चर्चित काव्य संकलनों - हास्य कवि दरबार, हास्य कवियों की व्यंग्य बौछार, तरुण तरंग, सागर से शिखर तक, नव पल्लव, हास्यारसावतार इत्यादि में कविताएँ संकलित।

अन्य गतिविधियाँ :

हरियाणवी फीचर फिल्मों ’गुलाबो’, ’छोटी साली’ और ’जर, जोरू और जमीन’ में प्रचार और जन-संपर्क तथा नेत्रदान पर बनी हिन्दी टेली फिल्म ’ज्योति संकल्प’ में सहायक निर्देशक।

राष्ट्रभाषा नव-साहित्यकार परिषद् और हरियाणवी फिल्म विकास परिषद् के संस्थापकों में से एक।

सामयिक साहित्यकार संगठन, दिल्ली तथा साहित्य कला विकास मंच, दिल्ली में उपाध्यक्ष।

केन्द्रीय सचिवालय हिन्दी परिषद् के शाखा मंत्री रहे, वर्तमान में आजीवन सदस्य। सर्वोदय कन्या विद्यालय नंबर २, पूर्वी कैलाश, नई दिल्ली में अभिभावक शिक्षक संघ में सचिव व उप-प्रधान रहे।

सम्मान :    

  • ’साहित्यालंकार’ और ’साहित्य दीप’ उपाध्यिों से सम्मानित। 

  • वर्ष २००० में ’राष्ट्रीय हिन्दी सेवी सहस्त्रााब्दी सम्मान’।

  •  कादम्बिनी में चित्र और रचना में प्रथम पुरस्कार।

संपादन व प्रकाशन :    

  • संपादन वर्ष १९८१ में प्रकाशित काव्य संकलन ’तेताला’  का संपादन तथा वर्ष १९८८ में प्रकाशित     

  • ’नवें दशक के प्रगतिशील कवि’ कविता संकलन के कार्यकारी संपादक।

  • ’सरस्वती संगम’, ’कलमवाला’, ’फिल्म फैशन संसार’ और ’वैश्य शक्ति’ मासिक पत्रिकाओं का संपादन किया है।’हिन्दी हीरक’ व ’झकाझक देहलवी’ उपनामों से भी लिखते-छपते रहे हैं।

आत्म वक्तव्य :    व्यंग्य कहीं बाहर की नहीं वस्तुतः मन-मस्तिष्क की उपज है, जो वर्तमान से कहीं बहुत गहरे तक जुड़ी हुई है। यूँ तो विचार आते हैं, चले जाते हैं पर कुछ झिंझोड़ जाते हैं और झिंझोड़ने पर जो कम्प्यूटर पर उतर आते हैं वही मेरे व्यंग्य का धरातल है।  जनमानस को झकझोरने के लिए विचारों को शब्दों में पिरो, माला गूँथ लेता हूँ।
      
संप्रति :   फिल्म समारोह निदेशालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, नई दिल्ली से संबद्ध।