ज़िंदगी ने जो दिया
डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ’अरुण’ज़िंदगी ने जो दिया, हम ने सदा हँस कर लिया।
अमृत मिला या विष मिला, बेझिझक उसको पिया॥
दुश्मनों ने राह में, काँटे बिछाए रात-दिन,
हम सदा चलते रहे, कांपा नहीं अपना हिया॥
धोखे मिले हर बात में, आँसू भी अक्सर आ गए,
फिर भी हम ने यार पर, विश्वास हर दम ही किया॥
जो भी कमाया, लुट गया, मुफ़लिसी में जी लिए,
आया जो कोई द्वार पर, सत्कार उसको नित दिया॥
मुस्कुराए चोट खा कर, उफ़ तक न की जुबान से,
ग़म छिपाकर 'अरुण' दिल में, घाव दुश्मन का सिया॥