ये फ़िज़ा महक जाएगी

01-09-2021

ये फ़िज़ा महक जाएगी

पूनम चन्द्रा ’मनु’ (अंक: 188, सितम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

जब भी मुहब्बत का ज़िक्र आएगा
तेरी परछाई
ख़ुद ब ख़ुद
महकने लगेगी
वो हर बात . . .
साँसें लेने लगेगी
जो रुकी हुई है . . . थमी हुई है
जब ये ज़िक्र तुम तक पहुँचेगा
उस मोड़ से चल पड़ेंगे – 
तुम्हारे क़दम मेरी ज़ानिब
जहाँ तुमने उन्हें वहीं उस ज़मीं में 
दबाया हुआ है . . .
रोका हुआ है . . .
थामा हुआ है . . .
 
उन जड़ों को 
कुछ तो साँसें लेने दो
जो . . .
सदियों से खड़े-खड़े 
तुम्हारे पैरों में उग गयी होंगी
लेने दो इन्हें साँसें
कि . . .
तुम्हारी एक गहरी साँस लेने भर से 
ये फ़िज़ा महक जाएगी!

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