वह जान गई है
बह निकलने के लिये
तेज़ करना होगा अपना ही वेग,
डरों से डरना नहीं होगा
फुसलावों से बहकना नहीं होगा..
पत्थरों की कठोरता से अब घबराती नहीं वो
अपने में पैदा कर लिया है
उसने इतना शोर
कि सुन ही नहीं पाती
आँधियों की आवाज़ तक..
पूरी निष्ठा से वह जुटी है
झरना बनने की तैयारी में।