विवेक

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 185, जुलाई द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

हरता क्रोध विवेक को,
देता नाना कष्ट।
क्षीण शक्ति मन की करे,
करे बुद्धि को नष्ट।
 
बुद्धिमान रखता सदा,
प्रज्ञा प्रखर विवेक।
गहन आंतरिक ज्ञान से,
बनता जीवन नेक।
 
बुद्धिमान चिंतन करे,
धैर्य धर्म को पाल।
मन विवेक उत्तम रखे,
त्यागे सब जंजाल।
 
जब विचार परिपक्व हों
जागे तभी विवेक।
सर्वश्रेष्ठ मानव सदा,
करे आचरण नेक।
 
इच्छाओं का त्यागना,
चित्त रखे जो शुद्ध।
सच्चा स्वयं विवेक ही,
बन जाता है बुद्ध।
 
पुरुषों के हैं तीन गुण,
साहस करुणा त्याग।
मन विवेक संयम रखें
छोड़े सब अनुराग।

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