वर्षा ऋतु 

01-07-2021

वर्षा ऋतु 

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 184, जुलाई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

सरसी छंद 

 

पहली बूँदें पड़ी धरा पर, 
गायें राग मल्हार। 
बिजली चमकी दूर गगन में, 
कम्पित मन के तार॥  
चपला चमक चमक चित चिंतित, 
पिय बस गए विदेश।  
मोर पपीहा पीहू पीहू,
आनंदित परिवेश॥
 
धरा महकती सौंधी सौंधी 
झम झम जल के गीत। 
इंद्रधनुष की छटा बिखेरे 
नीर रश्मि की प्रीत॥ 
पाँवों में नूपुर को बाँधे 
प्रकृति करे शृंगार। 
छंद भाव लय मिलकर मधुकर 
गाते राग मल्हार॥
 
लगे चुंबनों सी ये वर्षा 
टूट रहा है धीर। 
निष्ठुर मौसम भी क्या जाने 
मेरे मन की पीर॥  
हरियाली धरती से लिपटी, 
भरे समंदर ताल। 
जीवन में ख़ुशहाली लाए 
आने वाला साल॥ 

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