वर्णों में कथा माँ की

01-05-2021

वर्णों में कथा माँ की

प्रभात कुमार (अंक: 180, मई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

अ ने कहा 
आ कर मुझे माँ ये बता
इ तना प्यार तुम से ले
ई श्वर कहाँ हो गया लापता
उ त्तम प्यार से सिंचित कर
ऊ पर बैठे देव सब देख
ऋ षिकेश पावन वेश में 
ए क माँ के आँचल में बसा
ऐ सी अनमोल गाथा है 
ओ माँ तुम्हारी अनमोल कथा है 
औ रों को ज्ञान ये बाँटे 
अं जलि में स्नेह भर लाए
अः कष्टों को झेल कर
क र्मों को तर कर
ख त्म कर सब कष्टों को
ग र्व है हम सब की
घ र को जो सँवारती 
च लती रहती एक पैर सारी
छ प्पर उसकी आँचल है 
ज ग में सबसे प्यारी है 
झ रने जैसी निर्मल धारा 
ट कटकी देख हमें
ठ प ठप प्यार भरे
ड ब डब लोरी गा कर
ढ केल कष्टों को भगा कर 
त ब आँचल फैलाती हो
थ कावट तुम हटाती हो
द वा तुम्हारी अनमोल है
ध न धान्य से भी प्यारी है 
न दी सी निर्मल काया
प र्वत भी देख शर्माया
फ ल फूल सी कोमल तू
ब ल से छली न तू
भ ला याद किसे रहता
म मता की ये कथा
य ह तो है माँ की व्यथा
र चना अनुपम प्रभु की 
ल ला लला जब पुकारे
व शीभूत हो जग सारे 
श र्म से ताज़ लहराए
ष ड्यंत्र पास न आवे 
स दा ममता बरसाए
ह म बच्चों को भावे
क्ष मा दान की देवी तू
त्रा ण कर सब कष्टों को 
ज्ञा न पाठ पढ़ाती है 
माँ तू सबसे प्यारी है॥

2 टिप्पणियाँ

  • 8 May, 2021 12:47 PM

    वर्णों में माँ को लेकर अत्यंत सार्थकतापूर्ण अभिव्यक्ति दी है आपने प्रभात जी। आपको साधुवाद देती हूँ।

  • अच्छी कविता

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