वजूद

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 176, मार्च प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

उड़ चुके हैं जो परिंदे
वो फिर लौटकर आएँगे,
मेरे पास न सही
ख़ुदा तेरे पास तो
ज़रूर आएँगे।
ये सारा जहान तेरा है,
मुझ से न सही
पर तुम से तो
फिर से ज़रूर टकराएँगे।
जब मिले तुमको
तो पूछना ज़रा बैठकर,
जान कर भी तेरे वजूद को
तेरे ही इंसा को
फिर क्यों तड़पा रहे थे?
जानकर भी
कि ये धरती ये आसमां
सब तेरा है
फिर क्यों किसी का
भाग्य विधाता बनकर बैठे थे?

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