वह सड़क

पुष्पा मेहरा (अंक: 171, दिसंबर द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

वह मन्दिर और 
मन्दिर के पास से
गुज़रती सड़क
जिस पर कभी 
मेरे पग चिन्ह अंकित थे 
बीते वर्षों बाद 
उसके बदले हुए 
डामरी लिबास में 
दबी उसकी 
सोंधी सुगंध लिए 
धूल के कण 
मुझे आज भी 
सोना–चन्दन लगे 
खट्टी–मीठी 
कटारों से भरे वृक्षों की 
यादों में खोई मैं 
उसके बदलाव को 
कौतूहल से निहारती रही 
और वह  मुझसे मेरी 
पहचान पूछती लगी |

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

हाइबुन
कविता-मुक्तक
कविता
कविता - हाइकु
दोहे
कविता - क्षणिका
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में