ऊष्मा
योगेश कुमार ध्यानीमैं अब भी
थोड़ा सा शेष हूँ
हो सके, तो रोक लो
अपनी आवाज़ से छूकर
तुम्हारे अभाव
उपजती हुई ऊष्मा में
मेरा निरंतर पिघलना
मैं अब भी
थोड़ा सा शेष हूँ
हो सके, तो रोक लो
अपनी आवाज़ से छूकर
तुम्हारे अभाव
उपजती हुई ऊष्मा में
मेरा निरंतर पिघलना