उँगली तो थमाओ दोस्त

01-07-2021

उँगली तो थमाओ दोस्त

डॉ. रामवृक्ष सिंह (अंक: 184, जुलाई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

तोड़कर दिल यूँ न जाओ दोस्त
ख़ुद को थोड़ा आज़माओ दोस्त
सैकड़ों रातों का माँ का प्यार
बाप के काँधे टपकती लार।
 
लोरियाँ वे याद कर सो लो
किन्तु यूँ घर से न जाओ दोस्त॥
 
ज़िन्दगी हर साँस में संघर्ष
जो लड़ा उसका हुआ उत्कर्ष
धैर्य तुम फिर से जुटाओ दोस्त॥
 
तुम जियोगे लो अगर तुम ठान
आत्मबल का नित करो संधान
आओ, उँगली तो थमाओ दोस्त॥
तोड़कर दिल यूँ न जाओ दोस्त॥

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