उड़ान

भुवनेश्वरी पाण्डे ‘भानुजा’ (अंक: 189, सितम्बर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

खुले में आ गए हो,
उड़ना भी सीखो,
उड़ने दो, स्वयं उड़ो,
क्योंकि खुले में आ गए हो,
आकाश नीला, तुम्हें बुलाता है, 
तुममें उड़ने की इच्छा जगाता है,
अपना विस्तार दिखाता है, 
तुम्हें ऊपर और ऊपर उड़ने की प्रेरणा देता है, 
तुम उड़ो और सबको उड़ने दो,
खुले में आ गए हो, तो उड़ना सीखो।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
स्मृति लेख
कविता - हाइकु
कहानी
सामाजिक आलेख
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में