तुझको देखूँ तो सीने में

15-08-2019

तुझको देखूँ तो सीने में

बलजीत सिंह 'बेनाम'

तुझको देखूँ तो सीने में हलचल हो जाए
धीरे धीरे दिल की धड़कन पागल हो जाए


बरखा की बूँदों में भीगूँ झूमूँ जी भर के
ये लट तेरी इक लहराता बादल हो जाए


बाहर से लगती है दुनिया फूलों की घाटी
जाने क्यों भीतर ही भीतर दलदल हो जाए


मन्नत पूरी होने की निर्धारित सीमा तक
तन में सिहरन सी दौड़े मन बोझल हो जाए


उसकी बातों कर्मों में अब छल ही छल बाकी
चाहा था वो बच्चों सा फिर निश्छल हो जाए


 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें